बसंत पंचमी के दिन , विद्या की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था |

गाजीपुर मरदह। बसंत पंचमी का त्योहार क्षेत्र के मरदह, नोनरा, रानीपुर, महेगवां, जागोपुुुर, बरही , बीरबलपुर , सियारामपुर , गुलाल सराय बिहरा , भड़सर सहित दर्जनों गांव में पारंपरिक रूप से धूमधाम से मनाया गया | बसंत पंचमी के दिन. विद्या की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था | इसलिए इस दिन सरस्वती पूजा का विधान है। इस दिन कई लोग प्रेम के देवता काम देव की भी पूजा भी करते हैं। किसानों के लिए इस त्योहार का विशेष महत्व है। बसंत पंचमी पर सरसों के खेत लहलहा उठते हैं, चना, जौ, ज्वार और गेहूं की बालियां खिलने लगती हैं।
इस दिन से बसंत ऋतु का प्रारंभ होता है, यूं तो भारत में छह ऋतुएं होती हैं | लेकिन बसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस दौरान मौसम सुहाना हो जाता है | और पेड़-पौधों में नए फल- फूल पल्लवित होने लगते हैं | इस दिन कई जगहों पर पतंगबाजी भी होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन बसंत ऋतु का आगमन होता है |
ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्व है, कड़कड़ाती ठंड के बाद प्रकृति की छटा देखते ही बनती है, पलाश के लाल फूल, आम के पेड़ों पर आए बौर, हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को सुहाना बना देती है | यह ऋतु सेहत की दृष्टि से भी बहुत अच्छी मानी जाती है, मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों में नई चेतना का संचार होता है, बसंत को प्रेम के देवता कामदेव का मित्र माना जाता है, इस ऋतु को काम बाण के लिए अनुकूल माना जाता है |
रिपोर्टर संवाददाता –