उत्तर प्रदेश

गाजीपुर में सीवर बना ‘सुनामी मौत’: बिना मास्क, बिना सिस्टम… ज़िंदा घुसे, लाश बनकर लौटे दो मजदूर!

 

 

गाजीपुर में सीवर बना ‘सुनामी मौत’: बिना मास्क, बिना सिस्टम… ज़िंदा घुसे, लाश बनकर लौटे दो मजदूर!

रिपोर्टर – सुजीत कुमार सिंह

गाजीपुर –  जहां शहर के नखास इलाके में आज दिन बुधवार  को ऐसा मंजर देखने को मिला , जिसने इंसानियत, सिस्टम   और संवेदनशीलता तीनों को शर्मसार कर दिया । जानकारी    के अनुसार सीवर की सफाई करने उतरे दो लोग ज़हरीली गैस की चपेट में आकर दम तोड़ बैठे । न मास्क था , न ऑक्सीजन सिलेंडर , न कोई सुरक्षा टीम था , तो सिर्फ़ अंधा सिस्टम और एक बेरहम ठेकेदार ।

पहले उतरा प्रहलाद… फिर उतरा वसीम… और फिर ऊपर नहीं आया कोई ।

बलरामपुर का प्रहलाद, पेशे से मजदूर, रोज़ी -रोटी के लिए ज़िंदगी दांव पर लगाकर नाले में उतरा । कुछ मिनटों में सांसों    ने साथ छोड़ दिया । बाहर खड़ा वसीम, जो गाजीपुर कोतवाली इलाके का रहने वाला था , उसे बचाने के लिए खुद नाले में कूदा… और दोनों की लाशें दो घंटे बाद निकलीं दम घुटने से   मौत ।

सवालों के घेरे में ठेकेदार और प्रशासन:

स्थानीय लोगों का फूटा ग़ुस्सा
“क्या मजदूर की ज़िंदगी इतनी सस्ती है , कि उसे बिना       सुरक्षा साधनों के गटर में धकेल दिया जाए ?”

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया:

> “रस्सी डालकर शव निकालने की घंटों कोशिश होती रही, लेकिन कोई मास्क, सिलेंडर या ट्रेनिंग नहीं थी। सब कुछ भगवान भरोसे था।”

 

सीआरओ आयुष चौधरी ने माना:

मौत ज़हरीली गैस से हुई

ठेकेदार ने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया ।

इसलिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं , दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी । रेस्क्यू ऑपरेशन दो घंटे तक चला । तब तक भीड़ बेकाबू हो गई । लोग चीखते रहे, रोते रहे , हर साल ऐसे  कई मजदूर मरते हैं , और कोई हिसाब नहीं मांगता ।
ठेकेदारों की मनमानी और सरकारी अफसरों की चुप्पी —  इसका नतीजा हैं ये लाशें ।

अब सवाल उठता है , क्या सिर्फ जांच के भरोसे लाशों को  दफना दिया जाएगा ? या इस बार कोई ठेकेदार और अधिकारी पर वाकई कार्रवाई किया जाएगा ?

रिपोर्टर संवाददाता –

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