शिक्षा में राजनेताओं का दखल शिक्षा की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण: महामहिम उपराज्यपाल*
*शिक्षा में राजनेताओं का दखल शिक्षा की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण: महामहिम उपराज्यपाल*
रिपोर्टर – सुजीत कुमार सिंह
*गोपीनाथ पीजी कालेज में संगोष्ठी एवं प्रतिभा सम्मान समारोह का हुआ आयोजन*
गाजीपुर – गोपीनाथ पीजी कालेज देवली में संगोष्ठी व प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया । जिसके मुख्य अतिथि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल माननीय मनोज सिंहा जी रहे , सर्वप्रथम उपराज्यपाल ने महा विद्यालय संस्थापक स्व. राम जी तिवारी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया । तत्पश्चात सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की । जिसमें बीए की छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत व नृत्य के माध्यम से कार्यक्रम की शुरुआत की । इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के संरक्षक राकेश तिवारी, प्रबन्धक शिवम त्रिपाठी व प्राचार्य डॉ सुधा त्रिपाठी द्वारा महामहिम उपराज्यपाल को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट सम्मानित किया । वहीं महाविद्यालय के विश्वविद्यालय टापर छात्र, नेट/जेआरएफ क्वालीफाई छात्र व महाविद्यालय से पढ़ कर जाब प्राप्त करने वाले छात्रों को महामहिम मनोज सिंहा द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने “विकसित भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रासंगिकता” विषय पर संबोधित करते हुए , कहा कि संसार में भारत कई देशों का नेतृत्व कर रहा है, उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि शिक्षा में राजनेताओं का दखल शिक्षा की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण है, जिनको शिक्षा से दूर दूर से वास्ता नहीं है , वही लोग कुलपतियों को और शिक्षकों को ज्ञान की बात बताते हैं । जिसका जो काम है उसको ठीक से करने दें तभी देश आगे बढ़ेगा, इस पर सोचने की आवश्यकता है।आगे उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के विकास में सबसे बड़ा हथियार साबित होगा, नई शिक्षा नीति द्वारा प्रत्येक विधार्थीयों की सांस्कृतिक जड़ें मजबूत होंगी और सफलता के उच्चतम शिखरों को छू सकेंगे । राष्ट्रीय शिक्षा नीति वास्तव में दुनिया की चुनौतियों का सामना करने की सामर्थ्य है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संगठित ज्ञान के साथ-साथ राष्ट्र की आत्मनिर्भरता के लिये भी अनेक रास्ते सुझाने का काम किया । साधन और संसाधन दोनों सरकार उपलब्ध करा रही है । शिक्षकों से उन्होंने कहा कि आपके ऊपर बहुत ज़िम्मेदारी है, ज़िम्मेदारियों का निर्वहन ईमानदारी से करें । उन्होंने गुरु और शिष्य का संबंध कमल और मणि से की, आगे उन्होंने कहा कि कमल की जड़ें मिट्टी में होती हैं और जब वह खिलता है तो उसकी खिलावट मणि जैसी सुन्दरता देता है। गुरु और शिष्य दोनों के संबंधों की ऊर्जा कमल और मणि की तरह पूरे समाज में फैले ये प्रयास शिक्षण संस्थानों को करना होगा । इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि लोक सेवा आयोग प्रयागराज सदस्य प्रो0 आर. एन त्रिपाठी, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक राय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर सुरेश कुमार दूबे, डी सी एस के पीजी कालेज के प्राचार्य प्रोफ़ेसर सर्वेश पांडेय आदि ने भी नई शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त किए । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जय प्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो हरिकेश बहादुर सिंह ने की । तत्पश्चात कार्यक्रम का संचालन नीतिश उपाध्याय ने किया ।
रिपोर्टर संवाददाता –